Wishing you all a prosperous and Happy Diwali !
दीपावली/दिवाली यानि “प्रकाश पर्व”, भारतवर्ष में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है।
हालाँकि दिवाली Indian Subcontinent के कई देशों के अलावा और कई देशों में भी मनाया जाता है पर मुख्य रूप से भारत और नेपाल में मनाया जाता है।
यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। साथ ही अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीराम जब 14 वर्षों के पश्चात अयोध्या लौटे थे तब अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में घी के दिए जलाये थे।
उस दिन श्रीराम के लौटने का जश्न मना था। तब से लेकर आज तक हर वर्ष इस त्यौहार को बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।
दिवाली असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाता है क्योंकि झूठ पर हमेशा सत्य की ही जीत होती है।
जैसे-जैसे त्यौहार सामने आने लगता है लोग अपने घरों, दुकानों की साफ़ सफाई में लग जाते हैं।
सारे दुकानों, बाज़ारों को साफ़ किया जाता है। दिवाली स्वच्छता का पर्व है।
दिवाली मुख्य रूप से October या November के महीने में मनाया जाता है।
घरों में lighting से सजावट की जाती है। मिट्टी के दिए जलाये जाते हैं। पटाखे फोड़े जाते हैं।
हालाँकि आजकल बाज़ारों में कई प्रकार के दिए मिलते हैं मगर मुख्य रूप से मिट्टी के ही दिए जलने की परंपरा रही है।
नए-नए पकवान बनाये जाते हैं इस दिन। लोग नए कपड़े पहनते हैं।
भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लोग एक दूसरे के घरों में Diwali gifts देते हैं।
साथ ही मिठाईयां भेजते हैं। रंगोली बनाई जाती हैं घरों में जो देखने में काफी सुन्दर प्रतीत होती है।
एक सकारात्मक और नयी ऊर्जा का संचार होता है इस दिन।
Diwali आपसी भाईचारे और प्रेम का सन्देश फैलता है।
इस दिवाली आइये हम मिलकर Eco-friendly Diwali मनाने का प्रण लेते हैं।
साथ ही प्रण लें कि हमारा ध्यान environment पर भी होगा। दिवाली के उत्साह में हम यह भूल जाते हैं कि हमें environment का भी ध्यान देना चाहिए:
1. जितना कम हो सके उतने कम पटाखे जलाएं क्योंकि इससे air pollution होता है।
अगर संभव हो तो इस दिवाली पटाखे ही न जलाएं या सिर्फ Eco-friendly पटाखे ही जलाएं।
हमारे देश की राजधानी दिल्ली में पटाखे जलाना banned है। सिर्फ Eco-friendly पटाखों पर ही छूट है।
क्योंकि यहाँ पिछले कुछ सालों से smog की समस्या रही है सर्दियों में। इस कारण से लोगों को साँस लेने में तकलीफ होती है।
बाहर की हवा में एक घुटन-सी महसूस होती है। साथ ही साथ जानवरों को भी इस कारण तकलीफ होती है।
2. Air pollution के साथ साथ noise pollution भी काफी होता है।
खासकर बुजुर्गों और छोटे-बच्चों पर इसका ज्यादा असर होता है।
इसलिए बुजुर्गों, छोटे बच्चों के आसपास पटाखे न फोड़ें।
जानवरों को भी पटाखों की आवाज़ से परेशानी होती है। इस बात का ख्याल रखें।
3. दिवाली के बाद जो पटाखे जलाये जाते हैं उससे काफी solid waste इकट्ठा हो जाता है।
ज्यादातर लोगों का ख्याल इस ओर नहीं जाता है। इन solid wastes को अच्छे से manage करें।
4. पटाखों पर ज्यादा पैसे न खर्च करते हुए इन पैसों से हम कुछ underprivileged बच्चों की मदद कर सकते हैं।
Old age homes, orphanage visit करने की कोशिश करें।
क्योंकि हर साल Diwali almost हम अपने घरवालों के साथ मनाते हैं।
इस साल कुछ वक़्त इस नेक कामों को करने में बिताएं।
5. कई बार जलने की घटनाये हुई हैं जिससे काफी नुकसान हुआ है Diwali में, तो सावधानी बरतें पटाखे और दिए जलाते समय।
6. बच्चों को air pollution, noise pollution के बारे बताएं और इससे होने वाली नुकसान के बारे बताएं।
तो Friends आइये इस साल एक नई सोच के साथ Diwali मनाते हैं।
एक change की शुरुआत करते हैं। उत्साह और उमंग के साथ Eco-friendly Diwali मनाते हैं।
क्योंकि तभी हमारे Nature में, Environment में and hence Biosphere में एक balance बना रहेगा।
Be the Change, Set the Example.
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