अब्राहम लिंकन ने कहा है, “You cannot escape the responsibility of tomorrow by evading it today.”
यानी “आप आज टाल करके कल की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।”
दोस्तों, कई दफा ऐसा होता है कि हम कुछ responsibility या जिम्मेदारियों से बचने का प्रयास करते हैं।
और इन्हीं जिम्मेदारियों से बचने के प्रयास में कुछ ऐसा कर जाते हैं जिसका हम पर विपरीत असर पड़ता है।
पेश है जिम्मेदारी लेने पर एक ऐसी ही कहानी-
एक समय की बात है एक शहर में चार दोस्त रहते थे। उनका ज्यादातर वक़्त साथ ही बीतता था।
एक रात उनलोगों ने लेट नाईट पार्टी की, इस बात की परवाह किये बगैर कि अगले दिन उनका टेस्ट है।
क्योंकि उन्होंने इस टेस्ट की तैयारी नहीं की थी तो अगले दिन सुबह उन्होंने उस टेस्ट से बचने के लिए एक प्लान सोचा।
उनलोगों ने अपने-अपने कपड़ों में ग्रीस और धूल-मिट्टी मिला दिए।
वे अपने कॉलेज के प्रिंसिपल के पास पहुंचे और कहा कि पिछली रात को वे सब एक शादी में गए थे।
उन्होंने कहा कि वापस आने के क्रम में उनकी गाड़ी का एक टायर फट गया।
इस कारण से उनको गाड़ी को धक्का लगाना पड़ा। धक्का लगाकर ही वे अपने घर को पहुंच पाए।
और इस कारण से वे टेस्ट की तैयारी नहीं कर पाए और अब वे टेस्ट लिखने की हालत में नहीं हैं।
प्रिंसिपल ने कुछ देर सोचने के बाद उनको 3 दिन का वक़्त दिया और चौथे दिन टेस्ट लेने की बात कही।
सारे दोस्त मन ही मन बहुत खुश थे कि उनको तैयारी करने के लिए अच्छा वक़्त मिल गया।
उन्होंने अपने प्रिंसिपल को धन्यवाद दिया और अपने-अपने घर की ओर चल दिए।
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चौथे दिन सब टेस्ट देने के लिए ख़ुशी-ख़ुशी कॉलेज को चल दिए।
क्योंकि ये एक स्पेशल टेस्ट था, इसलिए प्रिंसिपल ने उनको अलग-अलग क्लासरूम में बैठने को कहा।
वे सब अलग अलग क्लासरूम में बैठने को राज़ी हो गए क्योंकि उन्होंने इन तीन दिनों में अच्छी तैयारी कर ली थी।
मगर पेपर देखने के बाद चारों दोस्त भौचक्के रह गए। उनका टेस्ट सिर्फ 2 प्रश्नों का था जिसके अंक थे पूरे सौ।
वे दो प्रश्न थे –
1. अपना नाम लिखें। (1 अंक )
2. गाड़ी का कौन सा टायर फटा ? ( 99 अंक )
किसी का जवाब मिलता-जुलता नहीं था। सबने अलग-अलग जवाब दिए थे।
आख़िरकार चारों दोस्तों का झूठ सामने आ ही गया।
उनलोगों ने झूठ बोलने के लिए अपने प्रिंसिपल से माफ़ी माँगा।
साथ ही आइंदा से कभी भी ऐसी हरकत नहीं करने का वादा किया।
प्रिंसिपल ने भी उनको एक मौका देते हुए माफ़ कर दिया।
दोस्तों, इसी तरह हमारी ज़िन्दगी में भी कई ऐसे वक़्त आते हैं जब हम responsibility यानी जिम्मेदारी से भागने की कोशिश करते हैं। इन जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश करते हैं।
मगर हमें ये समझना है कि आज नहीं तो कल यही जिम्मेदारी हमारी ही होनी है। इसलिए जिम्मेदारी लेना सीखें न की इनसे भागना।
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