Climate change या जलवायु परिवर्तन किसी अवधि में किसी क्षेत्र (या सम्पूर्ण पृथ्वी) के औसत मौसम के स्वरूप (pattern) में परिवर्तन है।
दूसरे शब्दों में, जलवायु परिवर्तन में तापमान, वर्षा या हवा के स्वरूप में बड़े बदलाव शामिल हैं जो दशकों या उससे अधिक समय तक होते हैं।
जैसे- दक्षिणी और उत्तरी ध्रुव पर बर्फ का पिघलना आदि।
वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों के अनुसार पिछली सदी में पृथ्वी का औसत तापमान 1.5° F बढ़ गया है, और अगले सौ वर्षों में 0.5-8.6 °F बढ़ने का अनुमान है।
पृथ्वी के औसत तापमान में छोटे बदलाव जलवायु और मौसम में बड़े और संभावित खतरनाक बदलाव ला सकते हैं।
औसत तापमान के साथ-साथ मौसम और जलवायु में परिवर्तन देखा जा रहा है।
कई स्थानों में बारिश में परिवर्तन देखा जा रहा है।
इसके परिणामस्वरूप तेज बारिश, बाढ़, सूखा और साथ ही कई जगहों पर तेज गर्मी की लहरें देखी जा रही हैं।
महासागर गर्म होते जा रहे हैं और अम्लीय (acidic) होते जा रहे हैं।
बर्फ तेजी से पिघल रहे हैं जिस कारण समुद्र के स्तर बढ़ रहे हैं।
जैसे- जैसे ये परिवर्तन बढ़ते जायेंगे, ये हमारे और पर्यावरण के लिए चुनौती बन जायेंगे।
जलवायु में परिवर्तन के लिए काफी हद तक मानव जिम्मेदार है।
मानव के गतिविधियों के कारण बड़ी मात्रा में carbon dioxide और अन्य greenhouse gases वायुमंडल में छोड़े जा रहे हैं।
साथ ही साथ जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) के जलने, वनों की कटाई, औद्योगीकरण (industrialization) के कारण भी जलवायु में परिवर्तन हो रहा है।
अधिक मात्रा में greenhouse gases का निर्माण जलवायु को बदल सकता है और इसके परिणामतः मानव के स्वास्थ्य और वातावरण पर खतरनाक प्रभाव देखे जा सकते हैं।
Carbon dioxide वातावरण में लगभग सौ साल तक रह सकता है, इसलिए पृथ्वी गर्म ही रहने वाली है।
जैसे-जैसे पृथ्वी अधिक गर्म होती जायेगी, वैसे-वैसे गंभीर परिवर्तन देखे जायेंगे।
गांधीजी ने कहा है, “Be the change you want to see in the world.”
वातावरण में greenhouse gases को कम करने के विकल्पों को चुनकर और आज जलवायु में हो रहे परिवर्तनों की तैयारी करके, हम इससे होने वाले खतरों को कम कर सकते हैं।
इससे हमें और हमारी आने वाली पीढ़ियों को फायदा होगा।
ये कदम दुनिया को एक नया आकार देंगे।
1. Greenhouse gases को कम करने और और जलवायु परिवर्तन से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए हम अपने घरों में, अपने आसपास, office में अनेक कदम उठा सकते हैं। जैसे कि- अगर कम दूरी तय करने के लिए हम चलकर या साईकिल पर जाते हैं, तो पैसों की बचत तो होगी ही, साथ ही स्वास्थ्य भी सुधरेगा।
2. पेड़ पौधे लगाकर हम जलवायु परिवर्तन को कम कर सकते हैं।
3. हमें अपने घर में ऊर्जा के उपयोग में कटौती करनी चाहिए। इससे बिजली संयंत्रों को कम ऊर्जा खर्च करने की आवश्यकता होगी जिससे greenhouse gases के उत्पादन में कमी आएगी। सिर्फ जरूरत होने पर लाइट बल्बों का प्रयोग करना चाहिए और जिन उपकरणों का प्रयोग हो गया तो उन्हें unplug कर देना चाहिए। Energy-efficient bulbs का प्रयोग करना चाहिए।
4. विनिर्माण संयंत्र (Manufacturing plants) प्रति वर्ष बड़ी संख्या में greenhouse gases का उत्सर्जन करते हैं। हमें उन चीज़ों का उपयोग करना चाहिए जिन्हें recycle किया जा सके। Recycling एक लागत प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया है जो कचरे को समाप्त करती है और पर्यावरण में greenhouse gases का उत्सर्जन नहीं करती है।
5. लोगों के बीच में जागरूकता पैदा करके और climate change के बारे में बताकर काफी हद तक वातावरण को और अपनी प्रकृति को बचा सकते हैं।
हालाँकि, आज हमारी सरकारें और दुनिया भर के कई देश और संस्थाएँ climate change/जलवायु परिवर्तन को समझने और इसे कम करने में लगी हुई हैं, लेकिन ये हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने स्तर पर कार्य करें।
“One person can make a difference and everyone should try.” – John F. Kennedy
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